झालरा पाटन के राजकीय बालचन्द चिकित्साल का अस्तित्व खतरे में , नगर के राजनेताओं की चुप्पी चिंतनीय

रियासतकालीन राजकीय बालचन्द चिकित्सालय का अस्तित्व खतरे में ,,,,,,,,25 हज़ार से ज्यादा की आबादी की चिकित्सा सेवाएं हो रही प्रभावित ,,,,, झालावाड़ ज़िले के झालरापाटन के राजकीय बालचन्द चिकित्सालय का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है ,पिछले कई दशकों से भी ज्यादा समय से नगर और आसपास के 100 से ज्यादा गावो को चिकित्सा व्यवस्था को संभालने वाले यह अस्पताल अब यहा से चार किमी दूर सुनेल रोड़ पर सेटेलाइट अस्पताल में क्रमोन्नत कर शिफ्ट कर दिया गया है । अस्पताल के क्रमोन्नत होने का किसी को दुख नही है लेकिन इसकी दूरी संमस्या बन रही है क्योंकि इतनी दूरी पर ही झालावाड़ मेडिकल कॉलेज हैं जहा इससे बेहतर व्यवस्था है । सेटेलाइट अस्पताल के ट्रांसफर के समय माननीय मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी महोदय झालावाड़ ने यहां एकं प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा पत्रकारों , गणमान्य नागरिको ,राजनीतिक दलों के नेताओ को आश्वस्त किया था कि सेटेलाइट अस्पताल में ट्रांसफर होने के बाद यहा चल रही सारी व्यवस्थाएं ज्यु की ट्यू यानी as it is ही रहेगी जैसे कि एक्सरे मशीन ,सोनोग्राफी ,विभिन्न जांचे, डेंटल चेयर और आधा दर्जन चिकित्सक यही रहकर चिकित्सा सेवा देगे और इंडोर भी चलता राहेगा सिर्फ विशेषज्ञ चिकित्सको की सेवाएं जिनमे डेंटल ,अस्थि रोग ,स्त्री रोग सेवाएं ,निश्चेतक विशेषज्ञ की सेवाएं ही वहां सचलित होगी लेकिन ,ऐसा नही हुआ ,पता नही अधिकारी महोदय के उस मौखिक आश्वासन का क्या हुया और उसका पालन उन्होंने क्यो नही किया ,लेकिन इसका सीधा असर नगर की कम से कम 25 हज़ार की आबादी पर पड़ने लगे गया है और आगे आगे और सुविधाएं भी नए भवन में चली जायेगी ,यहां सिर्फ़ दिखावे का अस्पताल रह जायेगा । झालावाड़ ज़िले में अपनी विशेष राजनीतिक पहचान रखने वाला नगर इन राजनेताओं की लापरवाही की वजह से आम लोगो गरीब और असहाय लोगो के लिए बड़ी मुसीबत बनने जा रहा है जिसकी तरफ किसी भी ध्यान नहीं है । नगर के कई नागरिको और गणमान्य लोगों की राय है कि सेटेलाइट अस्पताल को वही रखते हुए भी राजकीय बालचन्द चिकित्सालय ऐसे ही संचालित होना चाहिए ताकि आम लोग परेशान नहीं हो इस लिए यहां पर शहरी सीएचसी ,30 बेड की शहरी पीएचसी या सीएचसी भी बनाई जा सकती है ,नजदीकी शहर झालावाड़ में ही 3 से चार ऐसे ही संस्थान धनवाड़ा खण्डिया मंडावर में चलाए जा रहे है ऐसी ही व्यवस्था झालरा पाटन में भी की जा सकती है ताकि करीब नगर की तीन चौथाई आबादी को निर्बाध रूप से चिकित्सा सेवा का लाभ मिलता रहे और झालावाड़ मेडिकल कॉलेज पर अतिरिक्त दबाव ना बने ।नगर के विभिन्न सामाजिक धार्मिक नागरिक और अन्य संगठनों को इस हेतु आगे आकर इस रियासतकालीन अस्पताल को जिसको की यहा के एक भामाशाह ने निशुल्क भूमि और भवन बनाकर जन हित मे दिया था व्यर्थ नही जाय और करोड़ो की भूमि और इमारत अपना अस्तित्व ना खोदे ।

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