झालरापाटन में निकाली जा रही है

गुरूनानक देव जी का 555 वां प्रकाशोत्सव को लेकर गुरुद्वारा श्री गुरु नानक दरबार झालरापाटन में दिनांक 10 से 24 नवंबर तक प्रभातफेरी निकली जा रही है प्रभात फेरी शहर में भ्रमण कर पुन: गुरूद्वारा लौट जाती है। बताया जाता है कि गुरूनानक जी द्वारा 22 वर्षों तक चार दिशाओं में यात्रा कर धर्म का प्रचार करने के साथ शांति का संदेश पहुंचाया गया था। आज भी न सिर्फ सिख बल्कि दूसरे समुदायों के लोग भी गुरुपूरब से पहले ही प्रभात फेरियां शुरू करते हैं, ताकि गली-गली घूमकर सिख गुरुओं की सीख को लोगों तक पहुंचाया जाए। तड़के-तड़के गुरुद्वारों से निशान साहिब लेकर जत्थे गलियों में निकलते हैं। प्रभात फेरी में प्रभात का अर्थ सुबह के समय से है। यानी सुबह 4 बजे के बाद जो समय है वह प्रभात का है और फेरी का मतलब होता है आस-पास घूमना… इसलिए प्रभात फेरी वह है, जब सुबह के समय कुछ लोग साथ मिलकर अपने आसपास के इलाके में घूमते हैं। प्रभात फेरियों का चलन काफी बढ़ गया है। कोने-कोने में प्रभात फेरी निकाली जाती हैं। सुबह के समय बच्चों से लेकर बड़े एक साथ कीर्तन करते हैं और बाणी का प्रचार करते हैं। प्रभात फेरी का इतिहास काफी पुराना है। लेकिन खासतौर से सिख धर्म में प्रभात फेरी को अधिक अहमियत मिली है। आज भी न सिर्फ सिख बल्कि दूसरे समुदायों के लोग भी गुरुपूरब से पहले ही प्रभात फेरियां शुरू करते हैं, ताकि गली-गली घूमकर सिख गुरुओं की सीख को लोगों तक पहुंचाया जाए। तड़के-तड़के गुरुद्वारों से निशान साहिब लेकर जत्थे गलियों में निकलते हैं। जहां-जहां से प्रभात फेरी निकलती है वहां-वहां अब लोग चाय के साथ-साथ खाने-पीने के स्टॉल भी लगाते हैं। स्पेशल बैंड परफॉर्मेंस होती है… कई जगहों पर गतका अखाड़े परफॉर्म करते हैं। अब इन प्रभात फेरियों में हजारों /सेकड़ो लोग जुड़ने लगे हैं बताया जाता है कि विश्व की सबसे बड़ी प्रभात फेरी मुम्बई के उल्हास नगर में निकाली जाती है जिसमे लाखो लोग शामिल होते है एवं मुख्य रूप से उसमे श्रीमान संत बाबा सुखदेव सिंह जी भुचो कलां पंजाब से शामिल होते है। सिख एवं सिंधी संगत द्वारा इस पर्व को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है।

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