नक्षत्र शर्मा ने बनाया विश्व कीर्तिमान

< एक बार फिर झालरापाटन गिंदौर निवासी नक्षत्र शर्मा ने साबित कर दिया कि मन में सोच लिया जाए तो कोई काम असंभव नहीं है । यकीन मानिए 12 साल 5 महीने और 13 दिन के इस बच्चे , नक्षत्र शर्मा को 6 माह पहले यह नहीं पता था कि फुटबॉल को उंगली पर किस प्रकार घुमाया जाए । लेकिन कोरोना काल के दौरान लगे लॉकडाउन में जब बड़े भाई आयुष शर्मा ने चैलेंज दिया कि क्या तु इसे उंगली पर घुमा सकता है , तो नक्षत्र शर्मा ने मन में ठान लिया कि अब तो मैं इसे घुमा के ही रहूंगा। फिर शुरू हुआ अभ्यास का सिलसिला 3 माह के अथक प्रयास से नक्षत्र ने फुटबॉल को उंगली पर घुमाना शुरू किया। किंतु बहुत समय तक नहीं घुमा पाया। लेकिन तब तक नक्षत्र को यकीन हो चला था कि वह ये कर सकता है। बड़े भाई आयुष शर्मा ने हौसला बढ़ाया और बताया कि तूने पहले भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रखा है इसका भी एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है जो कि औरंगाबाद महाराष्ट्र के आदित्य सुनील जादव के नाम है जो कि 15 साल के है तथा यह रिकॉर्ड " लोंगेस्ट स्पीनिंग ऑफ ए फुटबॉल ऑन इन्डेक्स फिंगर बाई ए टीन एजर " 1 मिनट तथा 8 सेकंड का है यदि तुम इससे अधिक समय तक अपनी उंगली पर फुटबॉल को घुमाते हो तो यह रिकॉर्ड टूट सकता है। बस फिर क्या था नक्षत्र शर्मा को तो जैसे जुनून लग गया। सुबह दोपहर शाम रात जब समय मिलता , बस एक ही काम फुटबॉल हाथ में ली और उंगली पर घुमाना शुरू । काफी कोशिशों के बाद स्पिनिंग का समय बढ़ता गया। कुछ समय बाद नक्षत्र ने मोबाइल में स्टॉपवॉच चालू कर अभ्यास करना शुरू किया । वो कहते हैं ना कि 'करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान' उसी का अनुसरण करते हुए न सिर्फ नक्षत्र शर्मा ने उंगली पर फुटबॉल को घुमाना सीखा बल्कि 1 मिनट 8 सेकंड के पुराने विश्व रिकॉर्ड को तोड़कर फुटबॉल को अपने राइट हैंड के इंडेक्स फिंगर पर 2 मिनट 15 सेकंड तथा 28 मिली सेकंड तक घुमाकर विश्व कीर्तिमान रच डाला। नक्षत्र के पिता पवन शर्मा ने इसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स एफिलेटेड बाय ऎशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कराया है। पवन शर्मा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दुबलिया में व्याख्याता राजनीति विज्ञान पद पर कार्यरत है । इनकी पत्नी वंदना शर्मा भी ग्राम सेमली में प्रधानाध्यापिका है। पिछले वर्ष इनके बेटे नक्षत्र शर्मा ने स्क्वायर रूट टू के 6210 विजिट याद कर के रिकॉल कर मेमोरी कैटेगरी में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था । नक्षत्र शर्मा ने महामारी के इस कोराना काल में अथक परिश्रम कर रिकॉर्ड बनाया। इस अवसर पर उन्होंने बताया की सभी अपने-अपने घर में रहकर कुछ नया करें ,कुछ अच्छा करें , अनावश्यक बाहर न निकलें, अपनी प्रतिभाओं को पहचाने था उनका बहुमुखी विकास करें। घर में रहकर अपने कौशल को निखार दे । अपनी क्षमता अनुसार अपनी योग्यताओं को बढ़ाएं ,बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकले अन्यथा घर में रहकर ही अपने व्यक्तित्व का विकास करें । घर में रहकर भी बहुत कुछ किया जा सकता है । अपने प्रयास ही हमें इस महामारी से लड़ने में तथा इस कठिन समय में आगे बढ़ने में मदद करेंगे । कोरोना महामारी की तीसरी लहर का असर विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चों पर होगा बच्चे स्वयं जागरूक रहकर इस महामारी से लड़ सकते हैं तथा इस समय जबकि पढ़ाई का बहुत अधिक बोझ नहीं है बच्चे अपनी प्रतिभाओं को पहचाने उन्हें निखारे तथा जो भी करें वह मन से करें ताकि उसमें सफलता मिले। अपनी सफलता के बारे में वे बताते हैं कि दादा दादी तथा नाना नानी के आशीर्वाद तथा सबके सहयोग से मैं यह कर पाया। नक्षत्र शर्मा का यह कार्य अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत रहेगा। पवन शर्मा का कहना है कि नक्षत्र शर्मा एक दिन ना सिर्फ परिवार का बल्कि पूरे झालावाड़ जिले का नाम रोशन करेगा। नक्षत्र ही नहीं बल्कि प्रत्येक बच्चा महत्वपूर्ण है माता पिता अपने बच्चे की प्रतिभाओं को तराशने में कोई कसर नही छोड़ें । महामारी के इस काल में बच्चों का अमूल्य समय व्यर्थ नहीं गवाएं , बल्कि उन्हें रचनात्मक कार्यों में लगाएं । ताकि आने वाले समय में उनकी प्रतिभा निखर कर के सामने आए तथा वे समाज में महत्वपूर्ण नागरिक बन सके।

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