उपेक्षित धरोहरो के सरंक्षण के लिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन

27 जुलाई सेव ऑवर हेरिटेज फाउंडेशन के झालावाड़ संयोजक मनोज शर्मा ने बताया कि .... । राजस्थान की पारंपरिक छतरियों, बावड़ियों, देवलियों और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों को राजस्व रिकॉर्ड में विधिवत दर्ज कर कानूनी संरक्षण देने की मांग को लेकर सेव ऑवर हेरिटेज फाउंडेशन की ओर से उठाए गए प्रस्ताव को केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है। फाउंडेशन की इस मांग को लेकर 21 जुलाई को संस्था के चेयरमैन अरिहंत सिंह चरड़ास ने मंत्री शेखावत को पत्र भेजा था। इससे पूर्व 22 जून को हुई एक ऑनलाइन बैठक में संगठन के संयोजक हुकम सिंह पड़ासला ने यह मुद्दा मंत्री के समक्ष रखा था, जिस पर मंत्री शेखावत ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजने का सुझाव दिया था। फाउंडेशन ने अपने पत्र में बताया कि संवत 2012 (वर्ष 1955) के भूमि सेटलमेंट में राजस्थान के विभिन्न जिलों में स्थित अनेक धरोहरें—जैसे छतरियां, बावड़ियां, देवलियां आदि—सामान्य खातेदारी भूमि के अंतर्गत दर्ज हो गईं, जिससे उनके संरक्षण में व्यावधान उत्पन्न हो गया है। कानूनी दर्जे के अभाव में इन स्थलों पर अतिक्रमण, क्षरण और अवैध निर्माण की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसी सन्दर्भ में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 25 जुलाई को मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में आग्रह किया है कि इन धरोहर स्थलों को संवत 2012 से पूर्व की स्थिति के अनुसार राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाए। पत्र में कहा गया है कि यह राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा। अरिहंत सिंह चरड़ास ने उम्मीद जताई है कि केंद्र व राज्य स्तर पर समन्वय बनाकर राजस्थान की बिखरी और उपेक्षित धरोहरों को राजस्व अभिलेखों में स्थान दिलाया जाएगा, जिससे भविष्य की पीढ़ियों को इन विरासतों का गौरवशाली इतिहास देखने और समझने का अवसर मिल सके।

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